आजादी के छह दशक से अधिक समय गुजरने के बावजूद आज भी देश में सबके लिए शिक्षा एक सपना ही बना हुआ है। देश में भले ही शिक्षा व्यवस्था को चुस्त-दुरुस्त बनाने की कवायद जारी है, लेकिन देश की बड़ी आबादी के गरीबी रेखा के नीचे गुजर-बसर करने के मद्देनजर सभी लोगों को साक्षर बनाना अभी भी चुनौती बनी हुई है। सरकार ने हाल ही में छह से 14 वर्ष की आयु वर्ग के बच्चों के लिए अनिवार्य एवं मुफ्त शिक्षा प्रदान करने का कानून बनाया है, लेकिन शिक्षाविदों ने इसकी सफलता पर संदेह व्यक्त किया है क्योंकि देश की आबादी का एक बड़ा हिस्सा अभी भी अपनी मूलभूत आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए जद्दोजहद में लगा हुआ है।
संजय भास्कर
लगभग एक दशक से आयकर दाता आयकार पर एजुकेशन सरचार्ज केन्द्र सरकार को चुका रहे हैं। फिर भी बुनियादी शिक्षा का लक्ष्य हम पा नहीं सके। ऐसा प्रतीत होता है कि व्यवस्था पर पलने वाले परजीवी जनता की गाढ़ी कमाई को चट करने पर तुले हैं और हमारे राजनेताओं में योजनाओं को समय से पूर्ण करने इच्छा शक्ति नहीं है ।
पूर्णतः सहमत
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