Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: सितंबर 2010

किस भाँति जगे जन चेतनता....









प्रसिद्ध साहित्यकार -डॉ० तुकाराम वर्मा
के स्वर में उनके दो छंदो का आस्वादन
कीजिए।


प्रस्तोता
-डॉ० डंडा लखनवी

बाढ़ किसी भी वक़्त आ सकती है

इस कविता की हस्तलिखित प्रति मेरे पास सुरक्षित है और कवि का हस्ताक्षर है नाम नहीं है। जिस कवि की ये रचना हो वो कृपया सूचित करे जिससे उसके नाम पर इसे दुबारा प्रकाशित किया जा सके- सूर्या

देह की तलहटी में जमी हुई काई

और गुस्से के उपर

ठहरा हुआ रक्त

चरमराती हुई हड्डियों

से पूछता है

कब तक चलेगा बाँध?

बाढ़ किसी भी वक़्त आ सकती है.

कचरा सेठ