वैसे ये कला मैंने रवीश जी से सीखी है कि जहाँ भी जाओ, वहां की कुछ चीजें कैमरे में कैद कर लाओ और यादगार बनाओ | इस तरह की अपनी पहली पोस्ट में दुष्यंत साहेब की ग़ज़ल का पोस्टमार्टम आपके सामने रख रहा हूँ |
दुष्यंत साहेब ने सोचा भी नहीं होगा की उनकी ग़ज़ल का ये हश्र होगा | आप इसे रचनात्मकता भी कह सकते हैं | बहरहाल जो भी है आप भी पढ़ें और अपनी टिप्पणियों से अवगत कराएं |
Palestine
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The West inks red lines
filled with beheaded kids,
of people peeled inside out,
And the rest of us hung dry.
Will the winds turn?
If they do, what become...
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