Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: हो कहीं भी शौचालय लेकिन शौचालय बनना चाहिए

हो कहीं भी शौचालय लेकिन शौचालय बनना चाहिए



वैसे ये कला मैंने रवीश जी से सीखी है कि जहाँ भी जाओ, वहां की कुछ चीजें कैमरे में कैद कर लाओ और यादगार बनाओ | इस तरह की अपनी पहली पोस्ट में दुष्यंत साहेब की ग़ज़ल का पोस्टमार्टम आपके सामने रख रहा हूँ |

दुष्यंत साहेब ने सोचा भी नहीं होगा की उनकी ग़ज़ल का ये हश्र होगा | आप इसे रचनात्मकता भी कह सकते हैं | बहरहाल जो भी है आप भी पढ़ें और अपनी टिप्पणियों से अवगत कराएं |

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