आशुतोष के इस article पर मैंने जब नीचे लिखा कमेन्ट उनके ब्लॉग पर भेजा तो कुछ ही देर बाद कमेन्ट गायब हो गया. शायद आशुतोष को अपना विरोध नही भाया. कई बार managing एडिटर जैसी पद पर पहुँच कर ऐसे ही होता है बहरहाल इस article पर भेजे गए कमेन्ट को पोस्ट कर रहा हूँ.
"आशुतोष का ये रूप आज ही नही आज से पहले भी लोगों के सामने आता रहा हैं और शायद वातानुकूलित कमरों में बैठकर खबर बांचते-बांचते ये अपने चैनल के पिट्ठू बन गए हैं. इनकी गलती नही है चैनल भी तो चलाना है. अगर इंटेलीजेन्स या चिदंबरम को पता चल गया की ये नक्सली या माओवाद समर्थक है तो इन लोगों का क्या हश्र होगा? वो AC में बैठकर नही समझा जा सकता है. कल विनोद दुआ को देखा वो भी यही राग अलाप रहे थे लगा की सब के सब मुखौटा लगाकर जी रहे है इंडिया का जाएका के नाम पर खा रहे हैं पी रहे हैं लेकिन इन सबको आम आदमी का दुःख-दर्द क्यों नही दिखाई देता, उनका रोना क्यों सुनाई नही देता, अपना बच्चा तो विदेश में पढ़ाएंगे लेकिन गरीब के बच्चे के लिए योजना चलवायंगे जहाँ कभी मास्टरजी नही आयेंगे. १०-२० लाख के package पर शानदार कमरे में बैठकर एक सिरे से आम आदमी के संघर्ष को खारिज कर देना कितना आसान होता है. आशुतोष को अपने चश्मे से दूर-दराज़ जंगलों में संघर्षरत आदिवासी नही दिखाई देते, होशंगाबाद में तीन-तीन बार विस्थापना का दंश झेलते आदिवासी नही दिखाई देते जहाँ संघी अपना भगवा agenda ले कर जाते हैं, missionery उनको ईसाई बनाने का agenda ले कर जाते हैं, सरकार सलवा जुडूम ले कर जाती है और अगर यही आदिवासी व्यवस्था से त्रस्त होकर आपका विरोध करता है तो आप उसे नक्सली, माओवादी, देशद्रोही, आतंकवादी करार देते हो.
प्रेस क्लब मैं बैठकर दारू की चुस्कियां लेते हुए सब कुछ ठीक लगता है, कुछ भी ख़राब नही लगता. असल में जब नशा टूटेगा तब ना तो खबर बांचने के लिए कुछ होगा ना ही कोई सुनने वाला होगा सब कुछ पूंजीवाद की भेंट चढ़ चुका होगा."
भाई,
मैं आपकी बात से सहमत नहीं हूँ| व्यवस्था का विरोध करने के लिए हथियार उठाने को मैं क्या कोई भी आदमी सही नहीं ठहराएगा| पाकिस्तान और चीन से हथियार लेना, रंगदारी के पैसे से अपनी दुकान चलाना, आतंकवाद से भी बड़ा घृणत है| और अब नक्सलवादी & माओवादी ने हमारे सुरक्षाकर्मियों को ही मारना शुरू कर दिया है|
तो इसलिए आतंकवादियों का समर्थन करना छोड़ो|
nice. mo. num. 09450195427per bat karnay ka kast karay.
baat to bilkul theek kah rhe hai lakin kya jawano ko markar kuch kiya ja skata hai nhi kyoki sarkar ko hilane ke liye symond jaise officers ko hatana hoga tab jakar kuch bat ban sakti hai
punjiwadi vyavastha ki malai chatne walon se kya ummed ki jaa sakti hai. lekin mujhe ye bhi lagta hai maowadi kranti asambhav hai, naxalite vichardhara se bhatak gaye hain. agar naxalite beja khoon bahayenge to use katai jayaz nahin thahraya jaa sakta. vyavastha ya uske pahredaron se unko virodh samajh me aata hai lekin bhole bhale grameenon ne unko kya bigada hai. sarvahara naxalite burjua samaj ka to kuch nahin kar paa raha ulta apne jaise logon (savrvahara) ko hi naxalism ki bhent chada raha hai.. aapka iss bare me kya vichar hai, spasht karen???