Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: मैं खामोश रहा

मैं खामोश रहा

जब नाजी कम्युनिस्टों के पीछे आए
मैं खामोश रहा
क्योंकि, मैं नाजी नहीं था
जब उन्होंने सोशल डेमोक्रेट्स को जेल में बंद किया
मैं खामोश रहा
क्योंकि, मैं सोशल डेमोक्रेट नहीं था
जब वे यूनियन के मजदूरों के पीछे आए
मैं बिल्कुल नहीं बोला
क्योंकि,मैं मजदूर यूनियन का सदस्य नहीं था
जब वे यहूदियों के पीछे आए
मै खामोश रहा
क्योंकि, मैं यहूदी नहीं था
लेकिन, जब वे मेरे पीछे आए
तब बोलने के लिए कोई बचा ही नहीं था
क्योंकि, मैं अकेला था

-पीटर मार्टिन जर्मन कवि

Comments :

6 comments to “मैं खामोश रहा”
दिलीप ने कहा…
on 

bahut khoob itihaas aur apna ekakipan dono ka bodh karvaya....

दिनेशराय द्विवेदी ने कहा…
on 

सही बात है। दूसरों पर जुल्म होते देख चुप रहना सब से बड़ी कमजोरी है। शत्रु आप को अकेले अकेले मारना चाहता है। यही कारण है कि जनता को बांटने के लिए जाति, धर्म, क्षेत्र और भाषा के भेद फैलाए जाते हैं।

Udan Tashtari ने कहा…
on 

बढ़िया है..सही कहा!

ashutosh ने कहा…
on 

ha bat shi hai

संजय भास्‍कर ने कहा…
on 

सही बात है। दूसरों पर जुल्म होते देख चुप रहना सब से बड़ी कमजोरी है

shiv narayan singh ने कहा…
on 

क्या बात है दो बार चाट कर गया आपकी ये कबिता ,
बहुत सही लिखा आपने | जुल्म करना गुनाह है पर जुल्म को देख सह लेना भी एक गुनाह है |

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