Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: राहुल बाबा आप एक बार फ़िर आईये और देखिये आपके दौरे के बाद भी विदर्भ का क्या हाल है!पानी अभी से खत्म हो रहा है और बिजली उसका भी भगवान ही मालिक है!

राहुल बाबा आप एक बार फ़िर आईये और देखिये आपके दौरे के बाद भी विदर्भ का क्या हाल है!पानी अभी से खत्म हो रहा है और बिजली उसका भी भगवान ही मालिक है!

ब्लॉग वाणी पर अनिल पुसाडकर जी के ब्लॉग "अमीर धरती गरीब लोग" पर लिखा एक विचारोत्तेजक लेख देखामुझे लगा की जो साथी भागीरथ के विचारों को पढ़ चुके हैं उन्हें निश्चित ही इस ब्रांडिंग की सूंघ मिल चुकी होगीमामला सिर्फ दौरे या छवि बनाने तक ही सिमित होती तो मन को मना लेते लेकिन ये तो घोर राजनीति छलावा है और यह बुंदेलखंड या बिदर्भ के दर्द के साथ खिलवाड़ जैसा है लोग चीख रहे है चिल्ला रहे लेकिन नेता सिर्फ दौरे कर रहे हैं एक बात और भी है हमारे कठफोड़वे के मर्म का दर्द शायद लिखकर या पढ़कर नहीं लगाया जा सकता है जो बुंदेलखंड या बिदर्भ में रहा है और जिसने इससे करीब से देखा है वही जानता होगा की बिदर्भ या बुंदेलखंड में रहने का मतलब क्या होता हैप्रस्तुत है अनिल जी के ब्लॉग पर लिखा लेख -

सप्ताह भर विदर्भ घूम कर कल वापस छत्तीसगढ लौटा हूं।विदर्भ मे अलग राज्य की मांग फ़िर से ज़ोर मार रही है लेकिन अभी कंही तोड़-फ़ोड़ नही हुई,रेल नही रूकी और कंही आगजनी नही हुई इसलिये शायद खबर नही बन पा रही है।वैसे भी इस देश मे खबर तो बनती है धमाकों से,ठाकरे बन्धुओं से,सोनिया जी से,खान से,हिंदू-मुसलमान से और राहुल बाबा से ये राहुल बाबा भी विदर्भ मे किसानों की आत्मह्त्या से द्रवित होकर वंहा का दौरा कर चुके हैं,द्रवित हो चुके हैं।उसके बाद उन्हे शायद याद ही नही रहा है कि इस देश मे विदर्भ नाम की कोई जगह है।मैं ये सब राहुल बाबा से इसलिये कह रहा हूं कि महाराष्ट्र की सरकार तो कठपुतली है और उसके मंत्री तो राहुल बाबा की चप्पलें तक़ उठाते हैं,तो चप्पले उठाने वालों से कहने की बजाय मैने सीधे राहुल बाबा से ही कहना उचित समझा।और रहा सवाल मराठियों के ठेकेदारों का तो उनके लिये मराठी माने मुम्बईकर बस्।विदर्भ के नाम से तो वैसे ही चिढ है,वे अलग होने की बात कर रहे है इसलिये उनके बारे मे सोचना ही उनके लिये पाप है।फ़िर वेसे भी उनके पास फ़िल्म का प्रदर्शन रोकना,खिलाड़ियों को रोकना,एक दूसरे को टोकना और आमना-सामना खेलेने से फ़ुरसत नही है।

ऐसे मे सिर्फ़ राहुल बाबा ही एक नेता हैं जो गरीबी की ब्राण्डिंग मे अपनी दादी इंदिरा जी के रास्ते पर चलते नज़र आ रहे हैं।गरीबी सुनते ही उनके आंसू निकले या ना निकले उनके मुख से डायलाग बरसने लगते हैं।और आनन-फ़ानन मे भी वे उधर दौरे पर भी निकल पड़ते हैं,जैसे पिछ्ली बार घूम आये थे।अरे उसके बाद वंहा का क्या हाल है पूछा भी है कभी?या सिर्फ़ पब्लिसिटी स्टंट करने को ही राजनिती मानते हैं।

मीडिया भी राहुल बाबा से कम नही है।वंहा के लोकल अख़बार चीख-चीख कर कह रहें है कि विदर्भ पर भीषण जलसंकट है।अभी से 6000 गावों में जलसंकट छा गया है।नागपुर संभाग के तीन हज़ार और अमरावती संभाग क तीन हज़ार गांव मे अभी से पानी की मारा-मारी शुरू हो गई है।इसके अलावा अकोला का हाल तो और भी खराब है।जिन गांवों मे पानी मे पानी की आपूर्ती नलों से होती थी वंहा अभी से सप्ताह में दो-दिन,या तीन दिन ही पानी दिया जा रहा है।जिन गांवों मे मैं पहले भी जा चुका हूं और जंहा पानी भरपूर रहा है,वंहा भी पानी खरीदने की नौबत आ गई है।

सिंचाई तो बहुत दूर की बात है अब तो पीने और नहाने के लाले पड़ते नज़र आ रहें हैं।अण्डर ग्राऊण्ड वाटर का लेवेल अभी से एक से तीन मीटर नीचे जा चुका है।अभी फ़रवरी चल रहा है और ये हाल है तो मई-जून की कल्पना करके ही हालत खराब हो रही है।

पानी के अलावा बिजली भी विदर्भ के लोगों के लिये दुर्लभ चीज़ होती जा रही है।सालों से कटौती झेल रहे लोगों ने इस साल थोड़ा राहत पाई थी मगर नागपुर मे हुई एक उच्चस्तरीय सरकारी बैठक में ये बात साफ़ हो गई कि बिजली का संकट भी भीषण ही होगा।चंद्रपुर की दो उत्पादन इकाईयों का बंद होना लगभग तय ही है।वंहा के बांध मे पानी आधा भी नही रह गया है।यही हाल दूसरी जल-विद्युत परियोजनाओं का है।कोयना के भरोसे पूरा प्रदेश चल नही सकता।और सरकार इस संकट से मुंह छिपाने के लिये अभी से बरसात को ज़िम्मेदार ठहरा रही है।उसका कहना है कि बरसात मे कम पानी गिरने का रोना रो रही है।

अब बताईये! पानी नही,बिजली नही!ऐसे में जीना कितना मुश्किल हो जायेगा।भीषण गर्मी और भीषण जलसंकट,भीषणसंकट बिजली संकट आम आदमी जीयेगा तो कैसे जियेगा?

राहुल बाबा आप एक बार फ़िर आईये और देखिये आपके दौरे के बाद भी विदर्भ का क्या हाल है!पानी अभी से खत्म हो रहा है और बिजली उसका भी भगवान ही मालिक है!

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