एक बूढ़ा अभिनेता जिसके दिन शायद लद चुके थे अचानक से बुद्धू बक्शे पर लोगों को करोड़पति बनाने का नुस्खा लेकर अवतरित हुआ। भले ही करोड़पति बनाने का यह फार्मूला विदेशों से चुराया गया हो लेकिन भारत में टीवी के इतिहास में यह एक नए युग की शुरूआत थी। असल में दर्शक छोटे पर्दे पर लहराती और झिलमिलाती तस्वीरें देखकर ऊब गए थे, लेकिन भला हो केबल क्रान्ति का जिसने लोगों को घर-घर की कहानी दिखाई। लेकिन कितने दिन! धीरे-धीरे लोग इस घिसे-पिटे फार्मूले से भी भर आए थे। जिस चैनल पर जाओ वहीं अच्छे खासे परिवार को तोड़ने का किस्सा सुनाया जा रहा था। पुजी जाने वाली नारी ने धीरे-धीरे खलनायिका का और फिर पूंजी का रूप ले लिया था। 'कौन बनेगा करोड़पति' की अपार सफलता के बाद तो जैसे बाढ़ ही आ गई। हालाँकि 'विवा' भारतीय इतिहास का पहला रिअलिटी कार्यक्रम था।
साठ के दशक में कैलिफोर्निया में 'नाइटवाच' के नाम से एक सीरीज आती थी जो एक तरह का अनूठा प्रयोग था। इसमें कैलिफोर्निया पुलिस की गतिविधियों एवं उसकी बातचीत को रेडियो पर प्रसारित किया जाता था। 1973 में 'एन अमेरिकन फैमिली' जो 12 भागों में विभाजित एक टीवी सीरीज था, ने पहली बार दर्शकों को वास्तविक घटनाओं को हूबहू देखने का मौका दिया। इस धारावाहिक में एक दंपत्ति और परिवार के अन्य सदस्यों के सात महीनों के रहन-सहन को कैमरे में कैद किया गया जिसमे दंपत्ति तलाक लेता है। और शायद टेलीविज़न पर पहली बार कोई 'गे' दिखाया गया था। टेलीविज़न इतिहास में पहली बार यह एक वास्तविक घटनाओं पर आधारित वृत्तचित्र शैली में सच्चे पात्रों के साथ फिल्माया गया सीरियल था और इसने रियलिटी शो की एक नई विधा को जन्म दिया। धीरे-धीरे इस विधा पर कई प्रयोग हुए। तरह-तरह के टीवी सीरियल बनाए गए। 1977 में स्वीडिश टीवी द्वारा दिखाए गए 'एक्सपेडिशन रोबिन्सन' की अपार सफलता के बाद रियलिटी टीवी को सनसनीखेज और दर्शकों को बांधे रखने का अचूक तरीका हाथ लग गया। इसे कई और अन्य देशों ने अलग-अलग नामों से (जैसे सरवाईवर) प्रदर्शित किया। इसमें एक प्रतिभागी दूसरे प्रतिभागी को अपने चकमे-चालाकियों और खेल के नियमों के तहत पछाड़ने की कोशिश करता था और कमजोर प्रतिभागी धीरे-धीरे एक-एक कर प्रतियोगिता से बाहर होते जाते और आखिरी बचने वाला विजेता घोषित कर दिया जाता। यह 'एलिमिनेशन तकनीक' थी, जिसमें दर्शकों को बड़ा मजा आता था। तकनीकी आधुनिकीकरण ने इस खेल को और मंनोरंजक बना दिया। मोबाइल सन्देशों के माध्यम से दर्शकों को सीधे-सीधे कार्यक्रम से जोड़ दिया जाने लगा। कोई भी दर्शक अपने मनचाहे प्रतियोगी को अपना वोट एसएमएस के माध्यम से भेज सकता था। कार्यक्रम की टीआरपी बढ़ती और हर सन्देश के बाद दर्शकों के मोबाइल का पैसा घटता जाता। कमाई जोरों पर थी। कार्यक्रम भी तो पैसा कमाने के लिए ही बनाया गया था।
एक दूसरा शो जो लगातार पांच सालों तक लोकप्रियता के शीर्ष पर रहा, उसने भी रियलिटी शो के एक नई विधा को जन्म दिया। हालांकि 'एलिमिनेशन तकनीक' ने यहां भी अपना रंग दिखाया। यह शो 'अमेरिकन आयडल' था जिसने पहली बार एक आम आदमी को उसकी प्रतिभा के आधार पर मंच उपलब्ध कराया। भारत भी कहां पिछड़ने वाला था। भारत में 'इंडियन आइडोल' नामक शो बनाया गया जिसकी सफलता से प्रेरित होकर धडाधड रियलिटी शो बनने लगे। जिस चैनल पर देखो उसी चैनल पर कोई-ना-कोई रियलिटी शो चलने लगा। यहां तक की कई रियलिटी शो वाले चैनल भी खुल गए। जिस पर दिन-रात सब कुछ रीयल दिखाने का दावा किया जा रहा है लेकिन असली असलियत क्या है?
अभी हाल ही में एक चैनल ने राखी का स्वयंवर रचाया। बहुत धूम-धाम से तैयारियां की गईं। देश-विदेश से दूल्हों ने ऑडिशन दिया और आखिरकार एक दूल्हा फाइनल भी हो गया। राखी ने उस दूल्हे के साथ अच्छा-खासा वक़्त गुजारा। दूल्हा एनआरआई था और करोड़पति भी। इससे बढ़िया दूल्हा कहां मिलता। सब कुछ प्रोग्राम के मुताबिक चलता रहा। लेकिन स्वयंवर में स्वयंवर तो हुआ ही नहीं। राखी का आरोप था कि मेरे साथ धोखा हुआ है। लड़का तो कंगला है और मैं कंगले से शादी नहीं कर सकती। तो फिर ये नाटक क्या था? असल में यह एक धारावाहिक था रिअलिटी के नाम पर। राखी जो एक मंझी हुई अभिनेत्री है और कार्यक्रम में कुछ नए चेहरों को अभिनय का मौका दिया गया और स्वयंवर दिखाया गया। किसकी शादी और कौन दूल्हा? ये पहली बार नहीं हुआ है। कई ऐसे उदाहरण हम पहले भी देख चुके हैं लेकिन मामला आरोपों का नहीं है।
अभी हाल ही में तुर्की के अंकारा में पुलिसवालों ने नौ महिलाओं को जिसमें कुछ बालिग तक नहीं थी, उनको रियलिटी शो के माफियाओं के चुंगल से छुड़ाया। ये लड़कियां छोटी-मोटी मॉडल थीं और जल्दी प्रसिद्धि पाना चाहती थीं। इन्होंने एक रियलिटी शो के ऑडिशन में हिस्सा लिया और चयन भी हो गया। कुछ शर्तों पर साइन कराया गया जैसे इन्हें दो महीने तक बाहरी दुनिया से संपर्क नहीं रखना है। अगर बीच में शो छोड़कर जाना चाहें तो 33 हजार डॉलर हर्जाना भरना होगा। साथ ही उन्हें यह भी कहा गया था कि उन्हें एक-दूसरे से झगड़ा करना है। छोटे-छोटे कपड़े पहनने हैं। बाद में पता चला कि यह सारा ड्रामा था। उनके अधनंगे जिस्म को इंटरनेट पर बेचा जा रहा था। तो यह क्या एक किस्म का धंधा है? हां, यहां भी तो यही किया जा रहा है। 'बिग बॉस' जैसे सीरियल यही नंगापन और भौड़ापन तो खुलेआम टीवी पर बेच रहे हैं। चाहे क्लॉडिया का बिकनी-नाच हो या राजू श्रीवास्तव का छिछोरापन, राहुल का प्रेम-प्रसंग हो या कमाल खान का माँ-बहन की गाली। सब अपना धंधा कर रहे है। स्टेज पर बैठे दो महागुरू आपस में लड़ जाते हैं, गाली-गलौज पर उतारू हो जाते हैं। वे कहते हैं कि प्रतिभा तलाश रहे हैं। लेकिन कितनी प्रतिभा सालों की कड़ी मेहनत के बाद ये गुरूवर दे पाए, ये तो वही बताएंगे।
लेकिन बात अगर प्रतिभा तलाशने तक या मनोरंजन करने तक ही सीमित रहती तो ठीक था लेकिन बात आगे बढ़ चुकी है। बहुचर्चित 'चीटर्स' की तर्ज पर एक नया कार्यक्रम चालू हुआ है 'इमोशनल अत्याचार'। इस कार्यक्रम में दो पात्र होते हैं एक लड़का और एक लड़की जो आपस में बहुत प्यार करते हैं। अगर उन्हें अपने साथी मित्र के प्यार या ईमानदारी पर किसी प्रकार को कोई शक होता है या साथी मित्र का चरित्र-परीक्षण करना होता है तो वह 'लीड' के रूप में कार्यक्रम वालों के पास जाएगा और 'सस्पेक्ट' का 'लायलटी टेस्ट' कराएगा। लायलटी टेस्ट के नाम पर लड़का या लड़की जो भी सस्पेक्ट होगा, उसका गुप्त कैमरों (अभी पता चला है की असल में गुप्त कुछ नहीं है, सबको सब कुछ पता होता है) के सामने तरह-तरह से परीक्षण किया जाएगा। और यह जानने की कोशिश की जाएगी कि वह किस हद पर जाकर अपने साथी को धोखा दे सकता है। कार्यक्रम के दौरान 'क्रू मेंबर' ऐसी परिस्थितियां पैदा करते हैं कि एक साथी दूसरे साथी को धोखा दे देता है। हालांकि प्यार, ईमानदारी और धोखा की परिभाषा काफी दुरूह है। कुछ-कुछ ऐसा ही 'सच का सामना' शो में किया जा रहा था। वहां वही सबसे अधिक कमाएगा जिसका जितना अधिक विवादास्पद या घटिया राज खोला जाएगा। हाँ! इसी के साथ याद आया 'राज पिछले जनम का', जिसके माध्यम से 'तृप्ति जी' लोगों को उनके पिछले जनम का राज बताती हैं। इस कार्यक्रम ने वह कर दिखाया है जो पिछले कितने सालों से 'आस्था' या 'संस्कार' नहीं कर पाया। लोगों को अब धीरे-धीरे पिछले जन्म में विश्वास होने लगा है।
अभी हाल ही में नीदरलैण्ड के बीएनएन चैनल पर प्रसारित एक रियलिटी शो काफी विवादास्पद रहा। इस कार्यक्रम में प्रस्तुतकर्ता पब में जाता है और वहां हेरोइन पीता है, एलएसडी खाता है। लड़कियों को पटाने की कोशिश करता है। उन्हें सेक्स के लिए तैयार करता है और यह भी जांचने की कोशिश करता है कि क्या ओरल सेक्स किसी भी मर्द या औरत से किये जाने वाले सेक्स से ज्यादा बेहतर है। कार्यक्रम का सह-प्रस्तुतकर्ता इनके अनुभवों को इंटरव्यू के माध्यम से दर्शकों तक पहुंचाता है।
तो क्या माना जाए कि भारत में भविष्य का रियलिटी कुछ इसी तरह का होगा। और अगर ऐसा होगा तो हमें यह भी सोचना होगा कि क्या इस जैसे कार्यक्रमों की हमें जरूरत है। यह मान भी लें कि 'इण्डियन ऑयडल', 'कौन बनेगा करोड़पति', 'सारेगामा', 'नच बलिए', 'झलक दिखला जा', 'ग्रेट इण्डियन लाफटर चैलेंज' जैसे कार्यक्रमों से कुछ लोगों को फायदा हुआ हो, दो-चार कलाकार जैसे सुनिधि चौहान, श्रेया घोषाल या एहसान कुरैशी जैसे कुछ कलाकार ने अगर अपना स्थान बना भी लिया तो हजारों ऐसे बदकिस्मत भी होंगे जो प्रतिभा के बावजूद किसी सिरफिरे जज का शिकार हो गए होंगे।
बाजार में बड़ी प्रतियोगिता है। हर तरफ टीआरपी की होड़ है। टीआरपी बढ़ाने के लिए कार्यक्रमों में प्रतिभागियों को गाली-गलौच के लिए उकसाया जाता है। मारपीट, चोरियां, बेशर्मी, अंगप्रदर्शन, घटिया एवं छिछोरी हरकतें आम बात हो गईं हैं। और ये सब एक अच्छे रियलिटी शो की विशेषता बनती जा रही है। सारे रियलिटी शो की एडिटिंग भी होती हैं चाहे वह 'बिग बॉस', 'रोडीज', 'स्पलिटविला', 'इस जंगल से मुझे बचाओ' या 'सरकार की दुनिया' हो लेकिन ध्यान रखा जाता है कि कोई भी गाली या फूहड़पन एडिट न हो जाए। सेंसर है तो थोड़ा बीप कर देंगे लेकिन ऐसा की देखने वाला समझ जाए। 'सच का सामना' जैसे कार्यक्रम में तो ऐसे सवाल जानकर पूछे जाते हैं। अवैध सम्बंध इस कार्यक्रम के लिए मजे की चीज हो गई है कि जो भी गेस्ट आएगा, उससे जरूर पूछेंगे। अरे अगर अवैध सम्बंध या अवैध सन्तान है तो अपने बीवी-बच्चों को बताओ, दर्शकों के सामने नोट कमाने के लिए तमाशा करने की क्या जरूरत है।
Palestine
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The West inks red lines
filled with beheaded kids,
of people peeled inside out,
And the rest of us hung dry.
Will the winds turn?
If they do, what become...
dear neeraj, thanx for such an informative article.
best!!!
abhishek
excellant! aise hi aagey bhi likhiye.
lakin is artical ko log se uthakar print midia me bhi lane ki koshish kare