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खेद


मै कौन हूँ, कहाँ जा रहा हूँ?
मै बेखबर हूँ, खबर किसे है-खबर किसी को नही
हर कोई इसी उहा-पोह में हैं कि मै कौन हूँ?
तुम कौन हो? और हम कहाँ जा रहे हैं?
जा रहे हैं-जाना कहाँ है?
नही पता, किसी को भी नही पता

आज मै यहाँ हूँ
कल जाने कहाँ हूँ
तुम मेरे साथ हो
आज यहाँ हो-कल जाने कहाँ होगे

हर एक भरे हुए दिल में
खुला-खुला आसमान है
खाली इतना कि भरा बहुत कम है
भरा-भरा ऐसा है ज्यूँ भरने से रह गया है
खुला-खुला ऐसा है ज्यूँ खुलने से रह गया है

नाहक ही तो ये सारे खोज रहे हैं
उस गुत्थी का सुराग
जिसमे सुराख़ नही है
एक दोस्त ने कहा खेद है
ओजोन में छेद है
कब तक लेते रहेंगे हम
इस ओजोन के छेद की आड़
हकीक़त खुल गयी है
वरना छेद किसने देखा है !

जिन्हें खेद है
वो बेख़ौफ़ हैं
दरअसल ओजोन में नही
उनके खेद में छेद है
और ये छेद इतना भयानक है कि आप इस छेद की आड़ में
कितने भी खेद प्रकट कर सकते है
और इस खेद के लिए भी आपको खेद नही है
क्योंकि जिस ओजोन में छेद है
वहां पर छेद
छेद नही
एक खेद है
जिसे हम सदियों से
एक खेद के बहाने टाले जा रहे हैं

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