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लो क सं घ र्ष !: नये विचारों की रोशनी में


संघर्ष
देखा है मैंने तुम्हें
ताने सुनते/जीवन पर रोते
देखा है मैंने तुम्हे सांसों-सांसों पर घिसटते
नये रूप / नये अंदाज में
देखा है मैंने तुम्हें
पल-पल संघर्ष में उतरते
मानो कह रही हो तुम
बस - बस -बस
अब बहुत हो चुका ?
सहेंगे अत्याचार, सुनेंगे ताने
हर जुर्म का करेंगे प्रतिकार
नये विचारों की रोशनी में।

-सुनील दत्ता

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