सुबह हो गई है, चलो खेत मैं सोने चलें .......|
तुम सड़क ओढ़ लेना, मैं आसमान बिछा देता हूँ
ज्यादा सर्दी लगे तो गेंहू की हरी बालें भी हैं ओढ़ने के लिए
तुम माटी के ढ़ेले का सिरहाना बना लेना
मैं कुलापे मैं बहते पानी को ||
तुम्हारा साथ ................!!
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बस इतनी सी बात है...
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I
कुछ मोहब्बतें बिस्तर में सिमटती हैं,
कुछ रूह में उतरती है,
और कुछ बस खामाखाँ होती हैं,
क्या ही होता जो
मेरी रूह तेरा बिस्तर होती।
II
कुछ मोहब्बतें बिस्त...
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