Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: प्रेम की ये रात

प्रेम की ये रात


प्रेम की इस रात में 
कल के चमकते उजालों के लिए
मैंने प्रेम किया
अपने सिरहाने रखे उस फूल से
जिसने रात भर की कसमसाहट को
अपने यौवन की सलवटों से बदस्तूर पिघलते देखा 






एक सरगोशी हम पर तारी है
जो न पिघलती है न टपकती है 
बस रात भर बरसती है 



शब्द शर्मिंदा हैं 
भाषा बेचैन है 
मौन है तो मौन ही बोलेगा 

मौन की भाषा है 
शब्द नहीं बोलेगा।

Comments :

1
GST Refunds Delhi ने कहा…
on 

Awesome work.Just wanted to drop a comment and say I am new to your blog and really like what I am reading.Thanks for the share

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