Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: पागलपन

पागलपन

कुलबुला रहीं हैं
सारी समस्याएँ
अपनी उलझनों के साथ
और बड़बड़ाहट के रूप में 
बाहर आ रहा है 
मेरा खुद का पागलपन 

न जाने कब 
मैंने खुद से 
बातें करना सीख लिया    

नीरज कुमार
(१३/०७/०४)
(गोरखपुर रेलवे स्टेशन)  

Comments :

3 comments to “पागलपन”
भागीरथ ने कहा…
on 

short and sharp...

VIJAY KUMAR VERMA ने कहा…
on 

bahut hee sundar

नीरज कुमार ने कहा…
on 

dhanyawaad

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