कुलबुला रहीं हैं
सारी समस्याएँ
अपनी उलझनों के साथ
और बड़बड़ाहट के रूप में
बाहर आ रहा है
मेरा खुद का पागलपन
न जाने कब
मैंने खुद से
बातें करना सीख लिया
नीरज कुमार
(१३/०७/०४)
(गोरखपुर रेलवे स्टेशन)
साहित्य एवं कला जगत की ख़बरों पर पैनी चोंच
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