Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: बाढ़ किसी भी वक़्त आ सकती है

बाढ़ किसी भी वक़्त आ सकती है

इस कविता की हस्तलिखित प्रति मेरे पास सुरक्षित है और कवि का हस्ताक्षर है नाम नहीं है। जिस कवि की ये रचना हो वो कृपया सूचित करे जिससे उसके नाम पर इसे दुबारा प्रकाशित किया जा सके- सूर्या

देह की तलहटी में जमी हुई काई

और गुस्से के उपर

ठहरा हुआ रक्त

चरमराती हुई हड्डियों

से पूछता है

कब तक चलेगा बाँध?

बाढ़ किसी भी वक़्त आ सकती है.

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