तमाम दिक्कतों के बाद
गुज़ारा चल रहा था उनका
आकर दिल्ली में.
तीस रूपए रिक्शे का भाडा
चुकाने के बाद
बच जाते थे कुछ पैसे
आ जाते थे थोड़े चावल
थोड़ी सब्जी, थोड़ी दाल
भूखा नहीं सोना पड़ता था
आकर दिल्ली में.
सुना है रहनुमाओं को अब
बुरी लगने लगी हैं
इनकी शक्लें
मेहमान इनको देखकर क्या सोचेंगे
सता रही है यह चिंता.
बन गई हैं योजनायें
बेदखली की
अब कहां ढूंढें ये ठौर ठिकाना
आकर दिल्ली में.
आकर दिल्ली में
भागीरथ, शनिवार, 3 जुलाई 2010
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