हर बार नए साल का सूरज करता है हमसे वायदा
कि
इस साल खत्म कर दूंगा
कुपोषण, भ्रष्टाचार, गरीबी, महंगाई, बेरोजगारी, अनाचार
इस नए साल मैं मिलेगी सभी को सूचना
मिलेगा सभी को काम और काम का पूरा दाम
लेकिन नहीं निभाता है यह वायदा अपना !!!!!
हम भी तो करने देते हैं सूरज को बेवफाई
उम्मीद है इस साल
सूरज को हम नहीं सोने देंगे
उसे जगाते रहेंगे और कराएँगे उससे हर वायदा पूरा
इस नए साल मैं |
नया साल मुबारक
2010 उन सभी चेहरों पर मुस्कान बिखेरे जो तरस रहे हैं एक अदद मुस्कान के लिए !!
हर बार नए साल का सूरज करता है हमसे वायदा
गुड्डा गुडिया, शुक्रवार, 1 जनवरी 2010
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कविता
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क्या करे बेचारा वो भी त्रस्त हो चुका है अपनी मजबूरी दिखाता है हर सुबह
इस नए ब्लॉग के साथ नए वर्ष में हिन्दी ब्लॉग जगत में आपका स्वागत है .. अच्छा लिखते हैं आप .. आपके और आपके परिवार वालों के लिए नववर्ष मंगलमय हो !!
नव वर्ष की शुभकामनाओं के साथ ब्लाग जगत में द्वीपांतर परिवार आपका स्वागत करता है।
सही कहा कविता के माध्यम से
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