Visit blogadda.com to discover Indian blogs कठफोड़वा: हमार लल्ला कैसे पढ़ी ...................

हमार लल्ला कैसे पढ़ी ...................

रोटी, कपड़ा, मकान, स्वास्थ और शिक्षा हमारी मूलभूत आवश्यकताएं हैं। शिक्षा के सहारे अन्य आवश्यकताओं की पूर्ती हो सकती है परन्तु उस पर भी माफियाओं का कब्ज़ा होता जा रहा है। शिक्षा से वंचित रख कर किसी नागरिक को आजाद होने का सपना दिखाना बेइमानी है। इस सत्य को अनपढ़ औरत भी समझती .....उसका दर्द प्रस्तुत लोकगीत में फूटा है।

                          लोक गीत 
                                     
                                      -डॉ0 डंडा लखनवी

बहिनी!  हमतौ  बड़ी  हैं  मजबूर,  हमार  लल्ला  कैसे पढ़ी ?
मोरा   बलमा  देहड़िया  मंजूर,  हमार  लल्ला   कैसे पढ़ी ??

शिक्षा  से    जन   देव   बनत  है,   बिन   शिक्षा    चौपाया,
शिक्षा   से   सब  चकाचौंध  है,   शिक्षा   की   सब    माया,
शिक्षा  होइगै   है   बिरवा खजूर, हमार   लल्ला कैसे पढ़ी ??

विद्यालन     मा   बने      प्रबंधक    विद्या     के    व्यापारी,
अविभावक    का  खून     निचोड़ै,    जेब   काट  लें   सारी,
बहिनी  मर्ज़   ये बना है  नासूर, हमार  लल्ला   कैसे पढ़ी ??

विद्यालय    जब   बना   तो   बलमू    ढ़ोइन   ईटा  - गारा,
अब   वहिके    भीतर   कौंधत   है    होटलन   केर नजारा,
बैठे   पहिरे  पे   मोटके   लंगूर, हमार  लल्ला   कैसे   पढ़ी ??

बस्ता    और   किताबै   लाएन  बेचि    कै   चूड़ी  -  लच्छा,
बरतन - भांडा   बेचि  के लायेन,  दुइ  कमीज़   दुइ  कच्छा,
फिर हूं शिक्षा  का  छींका  बड़ी  दूर, हमार  लल्ला  कैसे पढ़ी ??

सरकारी    दफ्तर    के     समहे    खड़े   -    खड़े   गोहराई,
हमरे   बच्चन    के    बचपन      का    काटै    परे   कसाई,
कोऊ   उनका   सिखाय  दे  शुऊर,  हमार  लल्ला  कैसे  पढ़ी ??



Comments :

5 comments to “हमार लल्ला कैसे पढ़ी ...................”
honesty project democracy ने कहा…
on 

बहुत ही उम्दा प्रस्तुती / आप इस लोक गीत की केसेट्स और CD भी बनवाएं और उसे समाज में बाँटने का कम करें /आपका बड़ा ही उपकार होगा समाज पे /

डॉ० डंडा लखनवी ने कहा…
on 

आपका सुझाव बहुत अच्छा है। इसे अमली स्वरूप देने में मुझे खुशी होगी। इस अभियान में गायक और संगीतकार के मदद की दरकार होगी। आपकी जानकारी में ऐसा कोई हो जो इस काम में मदद कर सके तो बताएं?सद्भावी-डॉ० डंडा लखनवी

दिगम्बर नासवा ने कहा…
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बहुत ही लाजवाब ... इस लोक गीत को सच में संगीत से सजाना चाहिए ...

भागीरथ ने कहा…
on 

digambar ki baat se sahmat hoon. lakhanavi sahab kuch aisa kijiye jisese aisi shandaar rachnayen samaj me aa saken.

आदित्य ने कहा…
on 

डंडा लखनवीजी को नमस्कार .. है तो यह व्यंग - लेकिन इस व्यथा को समझने वाले अब ज्यादा नहीं बचे.

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